Who is Baba Siddique: महाराष्ट्र की राजनीति का प्रभावशाली चेहरा
Who is Baba Siddique: महाराष्ट्र की राजनीति का प्रभावशाली चेहरा
Who is Baba Siddique: बाबा जियाउद्दीन सिद्दीकी, महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐसा नाम, जो हमेशा जनता की सेवा और विकास के लिए समर्पित रहा। उनकी असामयिक और दर्दनाक मृत्यु ने राजनीति जगत को हिलाकर रख दिया है। आइए जानते हैं उनके जीवन की अहम बातें, उनके योगदान, और उनकी हत्या की दुखद कहानी।
राजनीति की शुरुआती यात्रा: छात्रों की आवाज़ से लेकर कांग्रेस के प्रमुख नेता तक
1977 में, युवा बाबा सिद्दीकी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। वह मुंबई के नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के सदस्य बने, जो छात्रों के अधिकारों और मुद्दों के लिए आवाज़ उठाने वाला संगठन था। 1980 में, वह बांद्रा यूथ कांग्रेस के महासचिव बने, और उनकी मेहनत और काबिलियत के कारण उन्हें दो साल बाद संगठन का अध्यक्ष चुना गया।
बांद्रा की सेवा: लगातार तीन बार विधायक चुने गए
1993 में, बाबा सिद्दीकी पहली बार मुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के सदस्य बने। उन्होंने जनता की सेवा में लगन से काम किया और पांच साल तक इस पद पर रहे। इसके बाद, 1999 में, वह बांद्रा वेस्ट विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। उनकी लोकप्रियता और काम के प्रति समर्पण ने उन्हें लगातार तीन बार विधायक बनने में मदद की, और वह 2009 तक इस पद पर रहे।
राज्य मंत्री के रूप में उनका योगदान: श्रम और खाद्य सुरक्षा में सुधार
2004 से 2008 तक, बाबा सिद्दीकी को महाराष्ट्र सरकार में राज्य मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला। उन्हें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, श्रम, और एफडीए विभागों की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा, श्रमिकों के हितों की रक्षा, और खाद्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया और कई सुधारात्मक कदम उठाए।
कांग्रेस से एनसीपी तक: राजनीतिक बदलाव की एक नई राह
फरवरी 2024 में, बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) में शामिल होकर सभी को चौंका दिया। इस नए राजनीतिक सफर ने उन्हें एक नई पहचान और अवसर दिया, जिसमें उन्होंने एनसीपी के मंच पर अपने विचारों को और भी सशक्त तरीके से रखा।
निजी जीवन: परिवार और राजनीति का संगम
बाबा सिद्दीकी का विवाह शहज़ीन सिद्दीकी से हुआ था। उनके दो बच्चे हैं—बेटी अर्शिया सिद्दीकी और बेटा ज़ीशान सिद्दीकी, जो खुद बांद्रा ईस्ट से विधायक हैं। राजनीति का यह परिवार हमेशा सामाजिक मुद्दों और जनसेवा में सक्रिय रहा है।
हत्या की दर्दनाक घटना: एक नेता की असमय मौत
12 अक्टूबर 2024 को, बाबा सिद्दीकी की मुंबई में तीन हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना तब हुई जब वह अपने बेटे ज़ीशान के कार्यालय के बाहर थे। तीन गोलियां उनके शरीर को छेदती हुई उनके जीवन का अंत कर गईं, और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना ने पूरे राज्य और देश को हिला कर रख दिया। पुलिस की तफ्तीश में कुछ संदिग्धों की पहचान हुई, लेकिन यह हमला राजनीतिक हिंसा का एक और काला अध्याय साबित हुआ।
बाबा सिद्दीकी की विरासत: राजनीति में ईमानदारी और जनता के प्रति समर्पण
बाबा सिद्दीकी का जीवन राजनीति और समाज सेवा का एक बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा जनता के हित को सर्वोपरि रखा। चाहे वह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा हो, या खाद्य सुरक्षा में सुधार—हर कदम पर उन्होंने अपनी ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाया। उनकी मौत ने राजनीति जगत में एक ऐसी कमी छोड़ दी है, जिसे पूरा करना मुश्किल होगा।
बाबा सिद्दीकी के राजनीतिक सफर की झलक
पद | सेवा का वर्ष |
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नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (मुंबई) का सदस्य | 1977 |
बांद्रा यूथ कांग्रेस के महासचिव | 1980 |
बांद्रा यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष | 1982 |
मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष | 1988 |
म्युनिसिपल काउंसिलर, मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन | 1993–1998, 1998–2003 |
विधायक, बांद्रा वेस्ट विधानसभा क्षेत्र | 1999–2004, 2004–2009, 2009–2014 |
राज्य मंत्री, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, श्रम, एफडीए | 2004–2008 |
अध्यक्ष, MHADA मुंबई बोर्ड | 2000–2004 |
चेयरपर्सन और वरिष्ठ उपाध्यक्ष, मुंबई रीजनल कांग्रेस कमिटी | 2014 |
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी का पार्लियामेंटरी बोर्ड सदस्य | 2019 |
सदस्य, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी | फरवरी 2024 – अक्टूबर 2024 |