Aditya L1 Launched: ISRO creates new history
Aditya L1 Launched: भारत का पहला सौर अभियान सफलतापूर्वक लॉन्च।
Aditya L1 Launched: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने पहले सौर मिशन, PSLV-C57/Aditya-L1 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा। 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से यह लॉन्चिंग की गई। यह मिशन सूर्य के अध्ययन के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है, जिसे PSLV-XL रॉकेट द्वारा निचली पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया गया।
आदित्य-L1 की अनूठी स्थिति
आदित्य-L1 को इस तरह तैनात किया जाएगा कि वह सूर्य की गर्मी को महसूस कर सके लेकिन इसे कोई नुकसान नहीं होगा। इस मिशन का उद्देश्य आदित्य-L1 को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर और सूर्य से 14.85 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) नामक बिंदु पर स्थापित करना है। यह बिंदु सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण का स्थिर क्षेत्र है, जहां सैटेलाइट को लंबे समय तक स्थिर रखा जा सकता है।
PSLV-XL रॉकेट की ताकत
इस मिशन में इसरो ने अपने सबसे भरोसेमंद और ताकतवर PSLV-XL रॉकेट का इस्तेमाल किया। यह PSLV रॉकेट की 59वीं और XL संस्करण की 25वीं उड़ान थी। रॉकेट ने एक घंटे के भीतर आदित्य-L1 को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया। PSLV-XL अपनी शक्तिशाली इंजन तकनीक और स्थिरता के लिए जाना जाता है, जो इसे विशेष बनाती है।
मिशन के मुख्य उद्देश्य
आदित्य-L1 का मुख्य उद्देश्य सूर्य के वायुमंडल (कोरोना) और उससे निकलने वाली विभिन्न किरणों का अध्ययन करना है। यह मिशन सौर हवाओं और सूर्य की बाहरी परतों की संरचना को समझने में मदद करेगा। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे कि सूर्य की सतह के ऊपर मौजूद कोरोना की गर्मी और सौर हवाओं की गति कैसे बढ़ती है।
आदित्य-L1 का बजट और निर्माण
आदित्य-L1 मिशन का बजट लगभग 400 करोड़ रुपये है और यह पूरी तरह से ‘मेड इन इंडिया’ मिशन है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) ने ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (VELC) नामक उपकरण को डिज़ाइन और परीक्षण किया है, जो आदित्य-L1 के मुख्य वैज्ञानिक उपकरणों में से एक है। इस सैटेलाइट को ‘हेलो ऑर्बिट’ में स्थापित किया जाएगा, जिससे यह सूर्य ग्रहण जैसी स्थितियों में भी प्रभावित नहीं होगा।
भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में नई उपलब्धि
आदित्य-L1 मिशन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में एक और मील का पत्थर साबित हुआ है। यह मिशन सूर्य के रहस्यों को समझने और उसकी परतों का अध्ययन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ISRO ने इस मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर यह साबित कर दिया है कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।
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