Indian civil defence new law: 1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए कानून।
Indian civil defence new law: 1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए कानून।
Indian civil defence new law: 1 जुलाई से भारत में तीन नए कानून लागू हो रहे हैं: भारतीय न्यायिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। ये कानून ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के पुराने कानूनों की जगह लेंगे: साक्ष्य अधिनियम (1872), सीआरपीसी (1973) और आईपीसी (1860)।
नए कानून के प्रमुख प्रावधान: भारतीय नागरिक सुरक्षा
- फैसला 45 दिनों में: आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला सुनाया जाएगा।
- आरोप तय करना: आरोप पहली सुनवाई के 60 दिनों में तय किए जाएंगे।
- गवाह सुरक्षा: राज्य सरकारों को गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करनी होंगी।
- पीड़ितों को अपडेट: पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- मुफ्त इलाज: अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों के मामले में मुफ्त इलाज करना होगा।
विशेष प्रावधान:
- बलात्कार पीड़िताओं के लिए: बलात्कार पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे। मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए।
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध:
- बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना जाएगा और इसके लिए कड़ी सजा होगी।
- सामूहिक बलात्कार करने वाले नाबालिगों को मौत या आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है।
- झूठे वादे करके या गुमराह करके महिलाओं को छोड़ने पर भी सजा का प्रावधान है।
अन्य प्रमुख प्रावधान: Indian civil defence new law
- दस्तावेजों की कॉपी: आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- इलेक्ट्रॉनिक संचार: घटनाओं की रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से की जा सकेगी, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं होगी।
- FIR दर्ज करना: व्यक्ति अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए किसी भी थाने में FIR दर्ज करा सकता है।
- फोरेंसिक विशेषज्ञ: गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा।
- ट्रांसजेंडर लोगों की परिभाषा: लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे।
- महिला मजिस्ट्रेट: महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा ही दर्ज किए जाएंगे।
ये प्रावधान देश में न्याय प्रक्रिया को तेजी और निष्पक्षता से लागू करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।
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