Uttarkashi Tunnel update: उत्तरकाशी टनलमें फंसे मजदूर, इतने दिनों में आएँगे बाहर।
Uttarkashi Tunnel update: उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूर, इतने दिनों में आएँगे बाहर।
Uttarkashi Tunnel update: 12 नवंबर की सुबह करीब साढ़े 5 बजे ब्रम्हखाल यमुनोत्री हाईवे पर एक निर्माणाधीन टनल के सिलक्यारा छोर के पास एक हादसा हुआ, जिसमें 41 मजदूर फंस गए. पहले कोशिश की गई कि भारी-भरकम एक्सकेवेटर मशीन से मलबा को 55-60 मीटर तक कुरेदकर निकाला जाए, लेकिन ऐसा करने पर मलबा और भी गिरने लगा।
वहीं इतनी कोशिश के बाद भी मज़दूरों को बाहर निकालने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। तीन दिनों में तकरीबन 47 मीटर ही हो पाई है खुदाई। वहीं एक्स्पर्ट का कहना है कि ड्रिलिंग करने में और 6-7 दिन लग सकते हैं।वो भी तब जब ड्रिलिंग रुके न और मलबे में कोई ऐसी चीज़ न आए जिन्हें मशीन को नुकसान हो। ऐसे में इन मज़दूरों को फिलहाल बाहर आना असंभव भी नजर आ रहा है।
अंदर से मज़दूरों का टूट रहा सब्र।
हालांकि मजदूर 12 नवंबर को ही टनल में फंसे थे और आज तकरीबन 26 नवंबर हो गई है। ऐसे में इतने दिन होने के बाद मज़दूरों ने बाहर निकलने का आस भी छोड़ दिया है। वहीं अंदर मजदूर भूख, प्यास और सांस जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।हालांकि एनडीआरएफ की टीम के द्वारा पाइप के माध्यम से अंदर।उनके जरूरत की सभी चीजें पहुंचाई जा रही है।
परिवार वाले हो रहे हैं परेशान।
12 नवंबर को हुई इस घटना में भारत के तकरीबन आठ राज्यों से 41 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं। ऐसे में सभी मज़दूरों के परिजन अपने बच्चों को लेकर काफी परेशान है।उनका कहना है कि सरकार जल्द से जल्द किसी भी माध्यम से हमारे अंदर फंसे मजदूर भाई को बाहर निकाले। ऐसे में सभी लोग आस लगा रहे हैं की जल्द से जल्द सभी बाहर निकले। इसमें सबसे ज्यादा झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के आठ, ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हुए हैं।
रेस्क्यू कार्यक्रम में पांच एजेंसियों को शामिल किया गया
19 नवंबर से बचाव अभियान का दूसरा हफ्ता शुरू हुआ, जिसमें पांच एजेंसियों को शामिल किया गया था। रेस्क्यू ऑपरेशन फिलहाल ओएनजीसी, सतलुज जल विद्युत निगम, रेल विकास निगम लिमिटेड, नेशनल हाइवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पास है।
अब तक, रेस्क्यू ऑपरेशन के सात दिन बीत चुके हैं। 20 नवंबर की शाम लगभग साढ़े चार बजे मजदूरों को खाने-पीने का सामान देने के लिए एक पाइप लगाया गया। उसी पाइप से रोटी, सब्जी, दाल और चावल भेजे गए। अगले दिन सुबह चार बजे पहली बार टनल में फंसे कर्मचारियों तक एंडोस्कोपिक कैमरा भेजा गया। 6 इंच के पाइप से मजदूरों को कैमरा भेजा गया, जिसके बाद फोटो और वीडियो सामने आए।
ऑगर फिनिशिंग मशीन अब टनल में काम नहीं करेगी।
ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट अरनॉल्ड डिक्स ने कहा, “ऑगर मशीन खराब हो गई है, अब हमें दूसरे विकल्पों पर भी विचार करना होगा।” हम 41 लोगों को सेफ्टी से बाहर निकालने का उपाय खोज रहे हैं। जल्दबाजी करने से मुश्किल हो सकती है।”
अरनॉल्ड ने कहा, “अब दूसरे विकल्प ही बचे हैं, जिससे रेस्क्यू लंबा खिंच सकता है।” सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं, उन्हें खाना-पानी और दवाएं दी जाती हैं। अब हम मैन्युअल माइनिंग पर ध्यान देंगे।”
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